भारतीय संविधान की 12 अनुसूचीयाँ – Short Tricks

    

भारतीय संविधान की अनुसूचीयां- Short Tricks 

मुल संविधान मे 8 अनुसुचीयाँ थी। 1952 मे नौवीं अनुसूची, 1985 में दसवी,  1993 में ग्यारहवीं और बारहवीं अनुसुचीयाँ जोड दी गई।। Exam में  अनुसुचीयाँ पर सवाल पुछे जा सकते है। ये याद रहने के लिए एक Tricks बनाई है। एक बार आवश्य पढे। 

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Tricks– राज्यो के पदाधिकारीओं ने पद का शपथ लिया और
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राज्यसभा मे जा कर जनजाती के पुर्व प्रशासन की सुची, 22 
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भाषाओं मे तैयार की। संपत्ती के लिए दल बदलने वाले
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पंचायतीराज तथा शहरी स्थानीय संस्था की भी अनुसुची तैयार की।

Trick का Explanation-

राज्यो-SCHEDULE 1) राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का वर्णन
पदाधिकारीओं-SCHEDULE 2) भारत राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों  को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन
पद का शपथ–  SCHEDULE 3) शपथ या प्रतिज्ञान के प्रारूप
राज्यसभा–  SCHEDULE 4) राज्य सभा में सीटों का आबंटन
जनजाती–  SCHEDULE  5) अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण
पुर्व प्रशासन -SCHEDULE 6) असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन
सुची– SCHEDULE 7) संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची
22भाषाओं -SCHEDULE 8) मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची
संपत्ती-  SCHEDULE 9)  राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधि
दल बदल – SCHEDULE 10) दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता
पंचायतीराज – SCHEDULE 11) पंचायतों के अधिकार, प्रधिकार और दायित्व
शहरी स्थानीय संस्था– SCHEDULE 12)  नगरपालिकाओं की के अधिकार, प्रधिकार और दायित्व

भारतीय संविधान की कुल 12 अनुसूचियों का विवरण

         प्रथम अनुसूची में भारतीय संघ के  29  राज्यों  एवं  7 संघ शासित  क्षेत्रों का उल्लेख है। संविधान के 62वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया  तथा  जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना राज्य बनाया गया और राज्यों की संख्या 29  हुई।  सभी राज्य और संघ शासित क्षेत्रो का उल्लेख इस सुची में है।
           द्वितीय अनुसूची में भारत के राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदी को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है।दुसरी अनुसुची राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों के वेतन भत्ते, पेशन के बारे में है।
          तृतीय अनुसूची में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। बाकी पदाधीकारीओं के शपथ का उल्लेख विधिन्न Article में दिया गया है।
           चौथी अनुसूची में विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है। कौन से राज्य के कितने प्रतिनिधी नियुक्त होकर राज्यसभा मे जाएंगे इसका विवरण चौथी अनुसूची में है।
           पांचवीं अनुसूची में विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है।
            छठी अनुसूची  में असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।
             सांतवी अनुसूची केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे मे है।संघ सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 100 विषय हैं।राज्य  सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 61 विषय हैं।समवर्ती सूची के अन्तर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है।राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है। संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं।
          आठवीं अनुसूची में  भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आंठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थीं।2004 ई० में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
      नौवीं अनुसूची  प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है।यदि कोई विषय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करे तो उच्चतम न्यायालय इस कानून की समीक्षा कर सकता है|
        दसवीं अनुसूची संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता हो सकती है।
          ग्यारहवीं अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं।जिसमे पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है|
           बारहवीं अनुसूची 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है।  इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिय 18 विषय प्रदान किए गए हैं।शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन संस्थानों से सम्बन्धित 18 विषय है|

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